आम-बच्चों को दाखिला देने से कतरा रहा आर्मी मेडिकल-कॉलेज
Thursday, June 2, 2011
आम-बच्चों को दाखिला देने से कतरा रहा आर्मी मेडिकल-कॉलेज
4:59 PM
Eduwaves-Transforming 'd' Education
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आम लोगों के बच्चों को दाखिला देने की नौबत आई तो सैन्य प्रबंधन ने धन की कमी का रोना रोते हुए आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस (एसीएमएस) को बंद करने की कवायद शुरू कर दी। कॉलेज प्रबंधन के इस रवैये पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए अब मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) व आईपी यूनिवर्सिटी को आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस को अधिग्रहित कर अपने अधीन कर लेने पर ही विचार करने का निर्देश दिया। इस कॉलेज में सौ सीटें हैं।चीफ जस्टिस दीपक मिश्र व संजीव खन्ना की पीठ ने इस मामले में कॉलेज प्रबंधन व सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि उनकी इस हरकत के लिए क्यों न कॉलेज संचालन की जिम्मेदारी एमसीआई या विश्वविद्यालय को सौंप दी जाए। पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब प्रबंधन की ओर से कहा गया कि मेडिकलकॉलेज बंद करने की कवायद इसलिए शुरू की गई है क्योंकि हर साल 22 करोड़ का नुकसान हो रहा है।
कोर्ट ने कहा कि जब सिर्फ सैन्य अधिकारियों के बच्चों को ही शिक्षा दी जा रही थी तब धन की कमी नहीं हो रही थी। पीठ ने एमसीआई व आईपी यूनिवर्सिटी से कहा कि कॉलेज को अपने अधीन करने और इसकी प्रक्रिया के बारे में बताए। हाईकोर्ट ने एक जून को सभी पक्षों को अपना जवाब देने को कहा है। हाईकोर्ट ने यह आदेश एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए आईपी यूनिवर्सिटी द्वारा वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व आर्मी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, दोनों नई दिल्ली में दाखिला के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में सफल रहे आरुषि सिंगला सहित छह छात्रों की याचिका पर दिया। छात्रों का आरोप है कि सयुंक्त प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज को बंद करने की बात करके दाखिला देने से इंकार कर रहा है।। इस कॉलेज में पहले सिर्फ सैन्य अधिकारियों के बच्चों को ही दाखिला दिया जाता था।
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